अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार भजन लिरिक्स| Amrit Barse Barse Ji Mata Rani Ke Dwar Bhajan Lyrics

अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार भजन लिरिक्स| 
 Amrit Barse Barse  Ji Mata Rani Ke Dwar Bhajan Lyrics


अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार,
माता रानी के द्वार आंबे रानी के द्वार,
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार,

नही जाना नही जाना दरबार से खाली नही जाना

इस अमृत में भक्त ध्यानु होक मस्त नहाया
अंतर मन के खुल गए द्वारे निर्मल हो गई काया
माँ की धुन में खो कर उस ने दुनिया को बिसराया
माई ज्वाला के चरणों में अपना शीश चडाया
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार,

पाना है पाना है दरबार से सब कुछ पाना है,

इस अमृत का श्री धर ने भी पिया प्रेम प्याला
रोम रोम में फिर गई उसके माँ के नाम की माला
कन्या रूप में वैष्णो माँ का हुआ जो दर्श निराला
नाच पड़ा वो भगती रस में हो कर के मत वाला
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार,

इस अमृत के दो चार छीटे जिन भगतो पे बरसे
वो जन्मो की प्यास बुजा गए प्यासे फिर न तरसे
मन चाहे फल पाए उन्हों ने महा दाती के दर से
मैया उनकी बनी ख्वाईया हो गे पार भवर से
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार,




Durga Bhajan ,  दुर्गा भजन 
Mata Ji Ke Bhajan,माता जी के भजन 
Durga Mata Ke Bhajan, दुर्गा माता के भजन 
Godess Durga, देवी दुर्गा 
Navratri Special Bhajan, नवरात्री  स्पेशल भजन 
अमृत बरसे बरसे जी माता रानी के द्वार भजन लिरिक्स|  Amrit Barse Barse  Ji Mata Rani Ke Dwar Bhajan Lyrics


Youtube Video



और भी ऐसे ही मधुर भजनों की लिरिक्स के लिए हमारी वेबसाइट को विजिट करते रहे|
इस भजन को आप अपने मित्रगणों के साथ शेयर करिए|
यदि आप भी हमें कोई भजन या अन्य उपयोगी सामग्री भेजना चाहे नीचे दिए गए बटन का प्रयोग करे|
|| आप को मारवाड़ी भजन डॉट कॉम की और से सादर जय सियाराम ||

Blogger द्वारा संचालित.