जन्में थे आज बजरंगबली भजन लीरिक्स | Janme The Aaj Bajrangbali Bhajan lyrics |

जन्में थे आज बजरंगबली भजन लीरिक्स
 | Janme The Aaj Bajrangbali Bhajan lyrics |

जन्में थे आज बजरंगबली,
राम जी का काज संवारन को,
भक्तों में भक्त शिरोमणि,
भव से पार उतारन को,
राम जी का काज संवारन को,
पत्नी वियोग में व्याकुल,
हुए राम जी जब बड़े आकुल,
सहसा तब तैयार हुए,
लाने खोज खबर सीता जी की,
सहस्र योजन समुद्र पार हुए,
कहां है कैसी है सीते,
प्रिय हनुमंत सब हाल कहो,
कष्ट में तो नहीं है प्राण प्रिया,
कुछ पूछें हो तो सवाल कहो,
क्या सच में मिलकर आए हो,
या यूंही हमें बहलाते हो,
मौन क्यूं हो बजरंगी तुम,
क्यूं नहीं कुछ बतलाते हो,
प्रभु धृष्टता आप संग,
मैं कदापि कर पाऊंगा नहीं,
जो देखा जैसा यथा उचित,
वैसा सब बताऊंगा सही,
स्वामी वियोग में जनक नंदिनी,
वियोग अपार सहती हैं,
सहस्र योजन दूर लंकपुरी में,
दुःख सागर में रहती हैं,
नल नील सुग्रीव जामवंत संग,
रणनीति तब तैयार हुई,
चढ़ाई करने को लंकपुरी में,
युद्धनीति एक स्वीकार हुई,
लेकर राम नाम समर क्षेत्र में,
उतरे सभी वचन निभाने को,
हम हैं जी प्रभु राम तुम्हारे,
आएं हैं यह जताने को,
लक्ष्मण जी जब  हुए मूर्छित,
मेघनाद की शक्ति से,
द्रोणागिरी पर्वत से लाए संजीवनी,
हनुमान जी तब युक्ति से,
देख अनुज की हालत ऐसी,
जिनकी आंखों में अश्रु भर आए थे,
आया देख बजरंगबली को,
श्री राम जी हर्षि उर तब लाए थे,
हे हनुमंत तुम मेरे भरत सम भ्राता,
प्रिय तुमने बड़ा उपकार किया,
माता सुमित्रा को क्या मुंह दिखलाता,
तुमने तो जीवन का आधार दिया,
संकट हर कर जो मेरे तुमने,
श्रद्धा बड़ी दिखलाई है,
संकटमोचन होगा नाम तुम्हारा,
तुमने भक्ति बड़ी बतलाई है,
हारोगे तुम संकट सभी के,
सभी के हारोगे कष्ट अपार,
भक्ति भाव से जो लेगा नाम तुम्हारा,
सदैव होगा उसका उपकार ।
जन्में थे आज बजरंगबली,
राम जी का काज संवारन को,
भक्तों में भक्त शिरोमणि,
भव से पार उतारन को,
राम जी का काज संवारन को,
पत्नी वियोग में व्याकुल,
हुए राम जी जब बड़े आकुल,
सहसा तब तैयार हुए,
लाने खोज खबर सीता जी की,
सहस्र योजन समुद्र पार हुए,
कहां है कैसी है सीते,
प्रिय हनुमंत सब हाल कहो,
कष्ट में तो नहीं है प्राण प्रिया,
कुछ पूछें हो तो सवाल कहो,
क्या सच में मिलकर आए हो,
या यूंही हमें बहलाते हो,
मौन क्यूं हो बजरंगी तुम,
क्यूं नहीं कुछ बतलाते हो,
प्रभु धृष्टता आप संग,
मैं कदापि कर पाऊंगा नहीं,
जो देखा जैसा यथा उचित,
वैसा सब बताऊंगा सही,
स्वामी वियोग में जनक नंदिनी,
वियोग अपार सहती हैं,
सहस्र योजन दूर लंकपुरी में,
दुःख सागर में रहती हैं,
नल नील सुग्रीव जामवंत संग,
रणनीति तब तैयार हुई,
चढ़ाई करने को लंकपुरी में,
युद्धनीति एक स्वीकार हुई,
लेकर राम नाम समर क्षेत्र में,
उतरे सभी वचन निभाने को,
हम हैं जी प्रभु राम तुम्हारे,
आएं हैं यह जताने को,
लक्ष्मण जी जब  हुए मूर्छित,
मेघनाद की शक्ति से,
द्रोणागिरी पर्वत से लाए संजीवनी,
हनुमान जी तब युक्ति से,
देख अनुज की हालत ऐसी,
जिनकी आंखों में अश्रु भर आए थे,
आया देख बजरंगबली को,
श्री राम जी हर्षि उर तब लाए थे,
हे हनुमंत तुम मेरे भरत सम भ्राता,
प्रिय तुमने बड़ा उपकार किया,
माता सुमित्रा को क्या मुंह दिखलाता,
तुमने तो जीवन का आधार दिया,
संकट हर कर जो मेरे तुमने,
श्रद्धा बड़ी दिखलाई है,
संकटमोचन होगा नाम तुम्हारा,
तुमने भक्ति बड़ी बतलाई है,
हारोगे तुम संकट सभी के,
सभी के हारोगे कष्ट अपार,
भक्ति भाव से जो लेगा नाम तुम्हारा,
सदैव होगा उसका उपकार ।

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