जग के स्वामी को पारसनाथ कहते हैं भजन लिरिक्स | JAG KE SWAMI KO PARASNATH KAHTE HAIN BHAJAN LYRICS |

जग के स्वामी को पारसनाथ कहते हैं भजन लिरिक्स
 | JAG KE SWAMI KO PARASNATH KAHTE HAIN BHAJAN LYRICS |

जग के स्वामी को,
पारसनाथ कहते हैं,
जग के स्वामी को,
पारसनाथ कहते हैं,
संकट के साथी को,
धरणेन्द्र कहते हैं।

जब रिश्तेदार तुमसे,
मुखड़ा छिपाए,
धरणेन्द्र तेरा साथ निभाएं,
धरणेन्द्र तेरा साथ निभाए,
जब दुनियाँ वाले दे ना सहारा,
धरणेन्द्र थामेंगे दामन तुम्हारा,
पढ़ लो सारे,
शास्त्र और पुराण कहते हैं,
संकट के साथी को,
धरणेन्द्र कहते हैं।
जग के स्वामी को,
पारसनाथ कहते हैं,
जग के स्वामी को,
पारसनाथ कहते हैं,
संकट के साथी को,
धरणेन्द्र कहते हैं।

जो काम इनके,
वश में नहीं है,
इक काम हमको,
ऐसा बता दो,
धरणेन्द्र खुश हो जाएंगे तुमसे,
बस इनके पारस नाथ मना लो,
बस इनके पारस नाथ मना लों,
दुनियाँ के सारे इंसान कहते हैं,
संकट के साथी को,
धरणेन्द्र कहते हैं।
जग के स्वामी को,
पारसनाथ कहते हैं,
जग के स्वामी को,
पारसनाथ कहते हैं,
संकट के साथी को,
धरणेन्द्र कहते हैं।

पारस प्रभु की जो पूजा करेगा,
धरणेन्द्र उसका साथी बनेगा,
श्रद्धा से जो भी भक्ति करेगा,
ये उसका संकट दूर करेगा,
इसके बारे में,
पारस नाथ कहते हैं,
संकट के साथी को,
धरणेन्द्र कहते हैं।
जग के स्वामी को,
पारसनाथ कहते हैं,
जग के स्वामी को,
पारसनाथ कहते हैं,
संकट के साथी को,
धरणेन्द्र कहते हैं।

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