अपनी आज़ादी को हम लिरिक्स | Apni Azadi Ko Hum Lyrics |

अपनी आज़ादी को हम लिरिक्स
| Apni Azadi Ko Hum Lyrics |

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते है लेकिन सर जुका सकते नहीं
सर जुका सकते नहीं
हमने सदियो में ये आज़ादी की नेमत पायी है
हमने ये नेमत पायी है
सैकड़ो कुरबानिया देकर ये दौलत पायी है
हमने ये दौलत पायी है
मुस्कुराकर खायी है सीनो पे अपने गोलियां
सीनो पे अपने गोलियां
कितने वीरानों से गुजरे है तो जन्नत पायी है
खाक में हम अपनी इज्जत को मिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं

क्या चलेगी ज़ुल्म की एहले वफा के सामने
एहले वफा के सामने
आ नहीं सकता कोई शोला हवा के सामने
शोला हवा के सामने
लाख फ़ौजे लेके आए अम्न का दुश्मन कोई
लाख फ़ौजे लेके आए अम्न का दुश्मन कोई
रुक नहीं सकता हमारी एकता के सामने
हम वो पत्थर है जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते है लेकिन सर जुका सकते नहीं
सर जुका सकते नहीं

वक़्त की आवाज़ के हम साथ चलते जाएगे
हम साथ चलते जाएगे
हर क़दम पर ज़िंदगी का रुख बदलते जाएगे
हम रुख बदलते जाएगे
गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दार ए वतन
जो कोई गद्दार ए वतन
अपनी ताक़त से हम उस का सर कुचलते जाएगे
एक धोखा खा चुके है और खा सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं

वंदे मातरम..वंदे मातरम..वंदे मातरम..

हम वतन के नोजवान हैं हम से जो टकराएगा
हम से जो टकराएगा
वो हमारी ठोकरों से खाक में मिल जाएगा
खाक में मिल जाएगा
वक़्त के तूफान में बेह जाएगे जुल्मो सितम
आसमान पर ये तिरंगा उम्र भर लेहराएगा
उम्र भर लेहराएगा
जो सबक बापू ने सिखाया वो भुला सकते नहीं
सर कटा सकते है लेकिन सर जुका सकते नहीं
सर कटा सकते है लेकिन सर जुका सकते नहीं.


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