मेरा गरीब खाना भजन लीरिक्स | Mera Ghareeb Khana Bhajan Lyrics |

मेरा गरीब खाना भजन लीरिक्स
 | Mera Ghareeb Khana Bhajan Lyrics |

मेरी अर्जी न ठुकराना, न और मुझे तरसाना l
कभी आ भी जा घर मेरे, मेरा कोई सिवा न तेरे ll

मेरा गरीब खाना, तुमको बुला रहा है ll
दो पल ही, माँ आ जाओ, तुमको अग़र हो फुर्सात l
दो पल ही, माँ आ जाओ, तुमको अग़र हो फुर्सात,
यह भगत तेरी राह में, पलकें बिछा रहा है l
मेरा गरीब खाना,,

माँ हो के बच्चों से तुम, यूँ दूर कैसे हो गई,
”दुनियाँ की तुम हो मालिक, मजबूर कैसे हो गई” l
अनमोल नेम्तों से, सबको ही भर दिया है,
”हम बदनसीबों से माँ, मुँह फेर क्यों लिया है” l
मायूस ज़िंदगी है, सर पे माँ हाथ रख दो l
देखो यह लाल तेरा, आँसू बहा रहा है l
मेरा गरीब खाना, ,,

पत्थरों में रहकर दिल क्यों, पत्थर सा कर लिया है,
“इस लाडले का जीवन, काँटों से भर दिया है” l
रस्ते में अब न रुकना, कहीं देर हो न जाए,
“तेरी देर से भवानी, अंधेर हो न जाए” l
*दुनिया की बेरूखी का, क्यों कर गिल्ला करूँ l
अपना नसीब जब माँ, नजरें चुरा रहा है l
मेरा गरीब खाना,,

ये वक्त बेवफा है, जिसने है साथ छोड़ा,
“अब तुम को क्या कहूँ माँ, तुम ने भी हाथ छोड़ा” l
ममता की तुम हो देवी, कुछ तो ख्याल करती,
“मेरा कोई तो मैय्या, पुरा सवाल करती” l
तुम रहम की हो गंगा, कैसे यह मान लूँ मै l
तेरे होते जग ये मुझपे, बड़े ज़ुल्म ढाह रहा है l
मेरा गरीब खाना,,
कुल दुनियाँ की तुम, माँ हो
फिर मेरी वार, कहाँ हो
आ दुःख मैं, अपना रो लूँ xl
अश्कों से तेरे, पग धो लूँ,


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