मेरी सुनले अरज बनवारी लिरिक्स

मेरी सुन ले अरज बनवारी,
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी ।।

आर न सूझे पार न सूझे,
अब कोई दूजा द्वार न सूझे,
कौन ठिकाने जाऊँ प्रभू मैं, छोड़ के शरण तिहारी,
छोड़ के शरण तिहारी,
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी ।।

छिन गया मेरी आस का मोती,
खो गई इन नैनन की ज्योति,
तेरे जगत में भटक रही हूँ, मैं ममता की मारी,
मैं ममता की मारी,
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी ।।

मेरी सुन ले अरज बनवारी,तेरे द्वार खड़ी दुखियारी ।। आर न सूझे पार न सूझे,अब कोई दूजा द्वार न सूझे,कौन ठिकाने जाऊँ प्रभू मैं, छोड़ के शरण तिहारी,छोड़ के शरण तिहारी,तेरे द्वार खड़ी दुखियारी ।। छिन गया मेरी आस का मोती,खो गई इन नैनन की ज्योति,तेरे जगत में भटक रही हूँ, मैं ममता की मारी,मैं […]


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