श्याम का खजाना, लुट रहा रे लिरिक्स

लुट रहा, लुट रहा, लुट रहा रे,
श्याम का खजाना, लुट रहा रे ।।

तर्ज – लुट रहा लुट रहा ।

लुट सके तो, लुट ले बन्दे, काहे देरी करता है,
ऐसा मौका फिर ना मिलेगा, सबकी झोली भरता है,
इनकी शरण में आकर के, जो कुछ भी मांगा मिल गया रे ।।

हाथों हाथ मिलेगा पर्चा, ये दरबार निराला है,
घर घर पूजा हो कलयुग में, भक्तों का रखवाला है,
जिसने भी इनका नाम लिया, किस्मत का ताला खुल गया रे ।।

इनके जैसा इस दुनियां में, कोई भी दरबार नहीं,
ऐसा दयालु है ‘बनवारी’, करता कभी इन्कार नहीं,
कौन है ऐसा दुनिया में, जिसको ये बाबा नट गया रे ।।

लिरिक्स – जय शंकर चौधरी (बनवारी) जी

लुट रहा, लुट रहा, लुट रहा रे,श्याम का खजाना, लुट रहा रे ।। तर्ज – लुट रहा लुट रहा । लुट सके तो, लुट ले बन्दे, काहे देरी करता है,ऐसा मौका फिर ना मिलेगा, सबकी झोली भरता है,इनकी शरण में आकर के, जो कुछ भी मांगा मिल गया रे ।। हाथों हाथ मिलेगा पर्चा, ये […]


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